Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2019 · 4 min read

दर्शन

आज बहुत खुशी का दिन है क्योंकि शारदीय नवरात्र का आज नवमी है। सारे लोग नहा धोवाकर के मां के दर्शन करने के लिए पटजिरवा माई स्थान जा रहे हैं। ये लोग पटजिरवा माई स्थान जाकर के मां के चरणों में पूजा-अर्चना करेंगे और हवन भी करेंगे।

वैसे में तो पटजिरवा वाली माई का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। वर्षों से चली आ रही परंपरा है कि जब बेटी का विवाह होता है और उसको विदा किया जाता है तो बिदागिरी के समय उस दुल्हन का डोली गांव के सिवान पर रुकता है और वहां पर उस दुल्हन की दो-चार सखियां जाती है, उन्हें कुछ खिलाती है और पानी पिलाती है। उसके बाद वहां से उस दुल्हन का डोली उठता है तो उनके ससुराल जाता है और वहां से सखियां अपने घर आती है। वो सिवान पर का मिलन उस समय का अंतिम मिलन होता है। इसी प्रकार जब जनकपुर के राजा जनक की पुत्री सीता का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्री रामचंद्र से हुआ। उसके बाद जब सीता विदा हुई तो उनसे मिलने के लिए दो-चार सखियां जनकपुर राज्य के अंतिम सीमा यानी सिवान पर मिलने के लिए आई और वहीं पर सीता का डोली रुका जहां पर दो-चार सखियां उन्हें कुछ खिला करके पानी पिलाई और वहां से सीता का डोली उनके ससुराल अयोध्या की ओर चल दीया और सखियां अपने घर को चली आई। तो जहां पर माता सीता का डोली रुका था और उनका पट खुला था। उसी के कारण उस स्थान का नाम पटजिरवा पड़ा और आज वह सिद्ध पीठ पटजिरवा माई धाम के नाम से प्रसिद्ध है जहां पर यूपी, बिहार से लेकर के अपने पड़ोसी देश नेपाल से भी लोग आते हैं मां के दर्शन करने के लिए। क्योंकि उस समय यह नगरी मिथिलांचल नगरी के अंतर्गत आता था और इसके बाद पश्चिमी इलाका जो था वह अयोध्या नगरी के अंतर्गत आता था।

खैर मुझे अधिक इतिहास के अंदर जाने की जरूरत नहीं है। मुझे तो मां का दर्शन करने जाना है। ए बातें सोच कर मेरे अंदर भी खुशी हुई और लालसा जगी कि मैं भी आज मां के दर्शन करने के लिए जाऊंगा और मां के चरणों में पूजा- अर्चना करूंगा, नारियल तोडूंगा, हवन भी करूंगा और मां से प्रसाद स्वरूप आशीर्वाद लेकर आऊंगा। क्योंकि पूजा स्थल पर जाकर के मुझे मां का दर्शन किए हुए लगभग चार-पांच वर्ष हो चुके थे। इसी वजह से मेरे अंदर इतना ज्यादा खुशी थी कि आज मैं मां का दर्शन करने लिए जा रहा हूं। इस खुशी में मैंने नहा धोवाकर के तैयार हो गया। मोटरसाइकिल निकाली और मोटरसाइकिल पर बैठ कर के माई पटजिरवा स्थान की ओर चल दिया।

चलते-चलते जब माई पटजिरवा स्थान से एक किलोमीटर की दूरी पर था तब देखा कि सड़क के किनारे कुछ लोगों की भीड़ लगी हुई है। उस भीड़ के पास पहुंचने से पहले ही लोगों ने मुझे हाथ देकर के रोकना शुरू कर दिए और जब मैंने उस भीड़ के पास रुका तो देखा कि एक मोटरसाइकिल वाले व्यक्ति को ठोकर लगी हुई है। दरअसल वे लोग पूजा-अर्चना करके वापस घर की ओर जा रहे थे और उस मोटरसाइकिल पर एक लड़का जो गाड़ी चालक था और उस पर दो लड़कियां बैठी हुई थी। किसी वाहन से इन लोगों को ठोकर लगी थी जिसके कारण वे लोग गिर चुके थे और गिरने के कारण गहरी चोट आई थी। मोटरसाइकिल चालक को तो शायद कम चोट थी जिसके कारण वह चल फिर रहा था बल्कि जो दो लड़कियां थी इन लोगों को गहरी चोट लगी थी जिसके कारण उनके शरीर से खून गिर रहा था। लोगों ने कहा कि इन्हें बैठा करके थोड़ा आप बगल के डॉक्टर के पास ले जाकर के पहुंचा दीजिए। मैंने गाड़ी रोकी और उसमें से एक लड़की मेरे गाड़ी पर बैठी जिसे गहरी चोट लगी हुई थी और उनके शरीर से ज्यादा खून गिर रहा था। जो चालक था वह उस लड़की को लेकर के मेरे गाड़ी पर बैठा और ले करके मैं माई पटजीरवा स्थान के बगल में एक डॉक्टर की दुकान थी वहां पर पहुंचा दिया।

जहां पर डॉक्टर की दुकान थी वहां से महज सौ कदम की दूरी पर मां का स्थान था। लेकिन जब मैंने उन लोगों को डॉक्टर के क्लीनिक पर उतार दिया और उसके बाद गाड़ी पर लगी हुई मिट्टी को झाड़ रहे थे तभी देखा कि मेरे पूरा शाॅर्ट खून से लथपथ हो गया है। अब मैं मां के पूजा स्थल के प्रांगण में तो पहुंच गया था पर चाह कर भी मां का दर्शन नहीं कर पाया। क्योंकि मेरी शॉर्ट जो थी वह खून से लथपथ हो चुकी थी और मैं खून से लथपथ शॉर्ट को पहन करके मां की पूजा-अर्चना करने के लिए उनके पास नहीं जा सकता था। शायद मां का दर्शन करने का सौभाग्य मुझे इसी रूप में लिखा हुआ था। बस हुआ क्या? मैं वही से वापस घर की ओर लौट आया।

लेखक – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳

Language: Hindi
377 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
Manisha Manjari
किसी के दिल में चाह तो ,
किसी के दिल में चाह तो ,
Manju sagar
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
ruby kumari
एक फूल
एक फूल
Anil "Aadarsh"
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
Rj Anand Prajapati
शिक्षा एवं धर्म
शिक्षा एवं धर्म
Abhineet Mittal
💐प्रेम कौतुक-221💐
💐प्रेम कौतुक-221💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"निर्णय आपका"
Dr. Kishan tandon kranti
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
सदियों से रस्सी रही,
सदियों से रस्सी रही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
■ सार संक्षेप...
■ सार संक्षेप...
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
Vindhya Prakash Mishra
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ज़िंदगी एक जाम है
ज़िंदगी एक जाम है
Shekhar Chandra Mitra
हालात और मुकद्दर का
हालात और मुकद्दर का
Dr fauzia Naseem shad
कौन कहता है ज़ज्बात के रंग होते नहीं
कौन कहता है ज़ज्बात के रंग होते नहीं
Shweta Soni
एक अजीब सी आग लगी है जिंदगी में,
एक अजीब सी आग लगी है जिंदगी में,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अजब गजब
अजब गजब
साहिल
जो उमेश हैं, जो महेश हैं, वे ही हैं भोले शंकर
जो उमेश हैं, जो महेश हैं, वे ही हैं भोले शंकर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
Pramila sultan
पीर पराई
पीर पराई
Satish Srijan
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
Shivkumar Bilagrami
2851.*पूर्णिका*
2851.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
जी रही हूँ
जी रही हूँ
Pratibha Pandey
मुहब्बत हुयी थी
मुहब्बत हुयी थी
shabina. Naaz
दिल में है जो बात
दिल में है जो बात
Surinder blackpen
Loading...