दर्द सह लूंगा
दर्द सह लूंगा मैं यूंही
जिंदगी गुजार दूंगा मैं यूंही,
शिकवा किसीसे कुछ नहीं
साया भी छोड़ देती साथ यूंही।
बहाऊँ आसूँ क्यों किसके लिए
नहीं जब कोई यहाँ अपने-पराए,
जीना-मरना सब बेमानी सी लगती
यहाँ इंसान नहीं इंसान के लिए ।
मतलब परस्त है लोग यहाँ
हर एक एहसान की कीमत लगाते,
खाना नहीं श्वास का भी मोल यहाँ
सभीको पाई-पाई चुकाने पड़ते ।