दर्द का मेरे कतरा-कतरा
दर्द का मेरे कतरा कतरा
मेरे लफ़्ज़ों में झलकेगा
मेरी आँखो में झलकेगा
फिर भी मेरा इश्क महकेगा।
दर्द का मेरे कतरा कतरा
हर दम छिपा मेरे आँचल में,
मेरे तो शब्दों शब्दो में,
मेरी हर पंक्ति पंक्ति में।
दर्द का मेरे कतरा कतरा
कुछ अनकहा सा दर्द मेरा
कुछ अनसुना सा दर्द मेरा
कुछ कहा कहा सा दर्द मेरा।
दर्द का मेरे कतरा कतरा
क्यो छलक नहीं पाता दर्द मेरा
पर बहुत गहरा है दर्द मेरा
मेरी तो मुस्कराहट में भी दर्द मेरा।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद