Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2017 · 1 min read

** दर्दे निहा **

दर्दे निहा उठता है दिल से परवाजे म्यूर तू उनको बता वजहे इताब बतादो शफ़ीक पैगामें -बका देने वाले ।। तरब-फ़जा शजर बादेनसीम… खिजां. का क्यों खटका है खदीन . आयेंगी दिलकश बहारे यूँ ही…… लेलो -नहार …जब होंगी फाम।।. .क्यों मौजे ग़म को बुलाते हो वजहे -इताब बतादो शफीक ।। तजादे-जिंदगी अब तो छोड़ो चन्द नफ़स ही बाकी है ।। ………..तारीक रात पासवां जब होंगी ….बिस्मिल मुर्गे -जां उड़ जायेंगे ।। …..दर्दनिहा उठता है दिल से परवाजें म्यूर …तू उनको बता ।।…………………..बजहे इताब बतादो शफीक पैगामे बका देने वाले ।।………….वजूज कल्बे सोजां और भी कुछ दोगे…..फ़जल करके मय -रूह-अफजा पिलादो ।।.दर्दे निहा उठता है दिल से परवाजे म्यूर तू उनको बता ।……वजहे इताब बतादो शफीक पैगामे बका देने वाले ।।
वजहे इताब बतादो शफीक ।। ?मधुप बैरागी

Language: Hindi
316 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
"ताकीद"
Dr. Kishan tandon kranti
हर चेहरा है खूबसूरत
हर चेहरा है खूबसूरत
Surinder blackpen
धनतेरस
धनतेरस
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
पिरामिड -यथार्थ के रंग
पिरामिड -यथार्थ के रंग
sushil sarna
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
हर लम्हे में
हर लम्हे में
Sangeeta Beniwal
23/53.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/53.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr. Seema Varma
मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा हिन्दी
ऋचा पाठक पंत
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
आंखों में शर्म की
आंखों में शर्म की
Dr fauzia Naseem shad
There is no shortcut through the forest of life if there is
There is no shortcut through the forest of life if there is
सतीश पाण्डेय
■ सुरीला संस्मरण
■ सुरीला संस्मरण
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-492💐
💐प्रेम कौतुक-492💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैंने अपनी, खिडकी से,बाहर जो देखा वो खुदा था, उसकी इनायत है सबसे मिलना, मैं ही खुद उससे जुदा था.
मैंने अपनी, खिडकी से,बाहर जो देखा वो खुदा था, उसकी इनायत है सबसे मिलना, मैं ही खुद उससे जुदा था.
Mahender Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
अगले बरस जल्दी आना
अगले बरस जल्दी आना
Kavita Chouhan
विविध विषय आधारित कुंडलियां
विविध विषय आधारित कुंडलियां
नाथ सोनांचली
प्राकृतिक सौंदर्य
प्राकृतिक सौंदर्य
Neeraj Agarwal
कोरोना - इफेक्ट
कोरोना - इफेक्ट
Kanchan Khanna
सावन सूखा
सावन सूखा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
Pt. Brajesh Kumar Nayak
फ़ितरत-ए-धूर्त
फ़ितरत-ए-धूर्त
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
*चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】*
*चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】*
Ravi Prakash
प्रिय
प्रिय
The_dk_poetry
कान खोलकर सुन लो
कान खोलकर सुन लो
Shekhar Chandra Mitra
आंगन को तरसता एक घर ....
आंगन को तरसता एक घर ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
Loading...