दरी-चादर
बेशकीमती चीज ना-परखी में ठुकराई जाती है।
लोग गमगीन समझतें है पर वो मुस्कुराई जाती है।
किसी के घर पे आने पर दरी -चादर नही बिछता,
किसी के आने के इंतजार में पलकें बिछाई जाती है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
बेशकीमती चीज ना-परखी में ठुकराई जाती है।
लोग गमगीन समझतें है पर वो मुस्कुराई जाती है।
किसी के घर पे आने पर दरी -चादर नही बिछता,
किसी के आने के इंतजार में पलकें बिछाई जाती है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी