Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2021 · 1 min read

थोड़ा है थोड़े की जरूरत है

थोड़ा है थोड़े की जरूरत है

थोड़ा है थोड़े की जरूरत है
पीड़ा है मरहम की जरूरत है

सपने हैं आसमां की जरूरत है
मंजिल है साहिल की जरूरत है

रिश्ते हैं अपनेपन की जरूरत है
मिलते हैं चाहत की जरूरत है

गीत है संगीत की जरूरत है
मीत है प्रीत की जरूरत है

किस्से है किरदार की जरूरत है
खिलते हैं खुशबू की जरूरत है

कहते हैं कहने की जरूरत है
अन्धेरा है उजाले की जरूरत है

खोया है पाने की चाहत है
जीवन है जीने की जरूरत है

कहना है सुनने की जरूरत है
रोता हूँ हंसने की चाहत है

संगीत है सुनने की जरूरत है
हंसता हूँ खिलने की चाहत है
संभालता हूँ जीने की चाहत है
हौसला हूँ जीतने की चाहत है

Language: Hindi
176 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
सिर्फ तुम्हारे खातिर
सिर्फ तुम्हारे खातिर
gurudeenverma198
2537.पूर्णिका
2537.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
Rekha khichi
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Manisha Manjari
शायर जानता है
शायर जानता है
Nanki Patre
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
आर.एस. 'प्रीतम'
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
Phool gufran
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*सभी को चाँद है प्यारा, सभी इसके पुजारी हैं ( मुक्तक)*
*सभी को चाँद है प्यारा, सभी इसके पुजारी हैं ( मुक्तक)*
Ravi Prakash
International Chess Day
International Chess Day
Tushar Jagawat
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
Dr Manju Saini
खुद में बदलाव की एक तमन्ना करिए
खुद में बदलाव की एक तमन्ना करिए
Dr fauzia Naseem shad
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
*कौन-सो रतन बनूँ*
*कौन-सो रतन बनूँ*
Poonam Matia
साहित्य सृजन .....
साहित्य सृजन .....
Awadhesh Kumar Singh
नित  हर्ष  रहे   उत्कर्ष  रहे,   कर  कंचनमय  थाल  रहे ।
नित हर्ष रहे उत्कर्ष रहे, कर कंचनमय थाल रहे ।
Ashok deep
प्रेम पर शब्दाडंबर लेखकों का / MUSAFIR BAITHA
प्रेम पर शब्दाडंबर लेखकों का / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
डिगरी नाहीं देखाएंगे
डिगरी नाहीं देखाएंगे
Shekhar Chandra Mitra
मेरे   परीकल्पनाओं   की   परिणाम   हो  तुम
मेरे परीकल्पनाओं की परिणाम हो तुम
पूर्वार्थ
■ #ग़ज़ल / #कर_ले
■ #ग़ज़ल / #कर_ले
*Author प्रणय प्रभात*
बदल गए तुम
बदल गए तुम
Kumar Anu Ojha
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
Rj Anand Prajapati
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
Vaishaligoel
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जय लगन कुमार हैप्पी
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
Dushyant Kumar
जब सब्र आ जाये तो....
जब सब्र आ जाये तो....
shabina. Naaz
*जय सियाराम राम राम राम...*
*जय सियाराम राम राम राम...*
Harminder Kaur
दो साँसों के तीर पर,
दो साँसों के तीर पर,
sushil sarna
हमारा प्यारा गणतंत्र दिवस
हमारा प्यारा गणतंत्र दिवस
Ram Krishan Rastogi
Loading...