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26 May 2021 · 1 min read

थोड़ा थोड़ा लिखना चाहता हूँ मैं

शीर्षक:- थोडा़-थोड़ा लिखना चाहता हुँ मैं.।

ख्वाबों को सजाता हुँ मैं
मंजिलों को ढूदने निकल जाता हुँ मैं
रास्तें जुदा होते है फिर भी,
थोड़ा-थोड़ा लिखना चाहता हुँ मैं.।

उम्र की लकीरों से फिसलता हुँ मैं
कहीं न कहीं राहों में तूमसे मिलता हुँ मैं
खामोशीयों में कब तक ठनी रहेगी बातें,
थोड़ा-थोड़ा लिखना चाहता हुँ मैं.।

अंगों में पीड़ा लिए फिरता हुँ मैं
ज्यों क त्यों बिकता हुँ मैं
सांसों में धरती की गंध लिए,
थोड़ा-थोड़ा लिखना चाहता हुँ मैं.।

स्वर्णिम सा चमकना चाहता हुँ मैं
संग तेरे दुश्कर: से लड़ना चाहता हुँ मैं
अपेक्षायों से भाव प्रकट कर,
थोड़ा-थोड़ा लिखना चाहता हुँ मैं.।

‘शेखर सागर’

Language: Hindi
2 Likes · 232 Views
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