थार का सैनिक
मैं देखा करता हूँ अक्सर, थार के सैनिक को
धूल भरी आँधी में
आग उगलती दुपहरी में
कैसे करता है वो अपनी मातृभूमि की रखवाली ।
उसकी आँखों में दिखते हैं
महफूज- संसद और वातानुकूलित दफ्तर ।
दो घूंट पानी पीकर
वो फिर से निगाहें जमाता है
इधर संसद में होता है मध्याह्न
वातानुकूलन में भोजनावकाश
महफूज है देश के बच्चे और उनके पापा ।
इधर भीग जाता है उसके बेटे का खत
पसीने से तरबतर
पेंट की जेब में ।
मैं कौशिश करता हूँ समझने की
आखिर कौन करता होगा देश सेवा
संसद या थार का सैनिक…..!!!
© राजदीप सिंह इन्दा