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24 May 2020 · 1 min read

थक गया हूँ…

थोड़ा थक गया हूँ दूर निकलना छोड़ दिया है!
पर ऐसा नहीं है की मैंने चलना छोड़ दिया है!

ये फासले अक्सर बढ़ा देते हैं दूरीयाँ रिश्तो में!
पर ऐसा नही है की मैंने मिलना छोड़ दिया हैं!

हाँ ज़रा अकेला सा हूँ इस दुनिया की भीड में!
पर ऐसा नही की मैंने अपनापन छोड़ दिया है!

याद करता हूँ अपनों को परवाह भी है मन में!
बस कितना करता हूँ ये बताना छोड़ दिया है!

हवा ने आग से थोड़ी सी नज़र क्या मिला ली!
आग से रुठ के मोम ने पिघलना छोड़ दिया है!

मौहब्बत की कहानी किताबो ही में मिलती हैं!
अफ़सोस लोगों ने किताबे पढ़ना छोड़ दिया है!
✒Anoop S.

3 Likes · 260 Views
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