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14 Jan 2020 · 1 min read

त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवि नर्मदे

मां सुन करुण पुकार मांगते हैं तुझसे वर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवि नर्मदे।।

न छूटे काम क्रोध लोभ मोह मद में डूबे सब।
जो ग्रन्थ वेद का मनन करें वो जान लें सबब।।
ये राम कृष्ण ,ब्रम्हा ,विष्णु ,शिव को पूजते हैं सब।
मगर ये ज्ञान पाके उनका अनुसरण करेंगे कब।।
न धर्म पथ से भृष्ट हों सभी को शुद्ध कर्म दे।
त्वदीय पाद———–।।

कुकर्म छल कपट धरा पे हो रहे हैं अपहरण।
यूँ मृत्यु से ही पहले खौफ में ही हो रहा मरण।।
बचाके लाज भेडियो से आ गयी तेरी शरण।
वो पापियों का नाश करने फिरनयाहोअवतरण।।
जो कन्या को कुचलते उन दरिंदो को भी शर्म दे।
त्वदीय पाद———–।।

धरा को तृप्त करने माँ जल स्वरूप बह रहीं।
न धूप दीप चाहतीं वो हाथ जोड़ कह रहीं।।
जो कष्ट से निवारतीं वो खुद भी कष्ट सह रहीं।
रुकी है बांध से ये धार अब नही ये बह रहीं।।
ये गंदगी से मुक्त जल हो सबको यही मर्म दे।
त्वदीय पाद ———–।।

✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 4 Comments · 485 Views
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