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10 Nov 2017 · 1 min read

त्रिभंगीलाल

।।१।।
मैं रवि तुम चाँद से
मैं काया तुम प्राण से ..
मैं बसुरी तुम बसुरी की धुन !
मेरा प्रेम त्रिभंगीलाल से ..

।।२।।
पुष्प करती हूँ समर्पित
हे ईश ! मेरी आकांक्षाओं का
पात्र अब खाली पड़ा है …
आत्म करती हूँ मैं अर्पित
हे आर्य ! मुझ में तेरी उपस्थिति का
भान अब होने लगा है ….
पुष्प करती हूँ समर्पित ……

निहारिका सिंह

Language: Hindi
4 Likes · 253 Views
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