तो हम भी मुहब्बत की हिमायत में खड़े हैं
कुछ लोग अदावत की हिफाज़त में खड़े हैं
तो हम भी मुहब्बत की हिमायत में खड़े हैं
ऐ ज़िन्दगी कैसे जियें मन खोल के तुझको
हर पल यहाँ हम मौत की दहशत में खड़े हैं
खुद से भी न कर पाये कभी न्याय यहाँ हम
हारे हुये ही खुद की अदालत में खड़े हैं
है अपना वतन सैनिकों को जान से प्यारा
वो बाँध कफ़न देश की खिदमत में खड़े हैं
इस झूठ की नगरी में नहीं चैन कहीं भी
मत पूछिये हम कितनी मुसीबत में खड़े हैं
दे सकते हैं हम ‘अर्चना’ हर बात का उत्तर
चुपचाप मगर हम तो शराफ़त में खड़े हैं
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26-12-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद