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4 May 2017 · 1 min read

तेवरी

मैं भी अगर भाट बन जाता
गुण्डों को सेवक बतलाता |

कोयल के बदले कौवों को
सच्चा स्वर-सम्राट सुझाता |

सारे के सारे खलनायक
मेरे होते भाग्य-विधाता |

ज़हर घोलता नित समाज में
सज्जन को पल-पल गरियाता |

धन-दौलत की कमी न होती
पुरस्कार पाकर मुस्काता |
+रमेशराज

Language: Hindi
347 Views
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