तेरे राम और मेरे राम
तुम्हारा राम दसरथ का संस्कारी पुत्र नही ।
तुम्हारा राम गुरु का आज्ञाकारी शिष्य नही ।
तुम्हारा राम प्रजा का न्यायप्रिय राजा नही ।
तुम्हारा राम भात्र प्रेम से विभोर नही।
तुम्हारा राम विस्वास और प्रेम से आतुर पति नही ।
तुम्हारा राम दुर्बल और अछूतों का संवल नही ।
तुम्हारा राम प्रकृति से बात करने वाला नही ।
तुम्हारा राम अनपढ़ अनगढ़ जंगलियों का पथ प्रदर्शक नही ।
तुम्हारा राम गलती को क्षमा करने वाला पुत्र नही ।
तुम्हारा राम शत्रु की योग्यता पर सिर झुकाने वाला नही ।
तुम्हारा राम दलित सबरी के झूठे बेर खाने वाला नही ।
तुम्हारा राम धनुर्धर है,
जो एक बाण से मूक निरपराध सात ताड़ के वृक्षो को जमीनदोज कर देता है केवल शक्ति प्रदर्शन के लिए ।
तुम्हारा राम हठी पुत्र है,
जो हठ में प्रिय पिता को मरते हुए छोड़ देता है।
तुम्हारा राम छमा करने वाला भाई नही है,
जो अपने अभिमान को वचन कहता है ऐसा वचन जिसके लिए वचन देने वाली माँ ही शर्मिंदा थी और भाई भी ।
तुम्हारा राम कर्मकांडी राम है,
जो नल नील की योग्यता को सम्मान देने के स्थान पर शिव मंदिर की स्थापना करता है ।
तुम्हारा राम पुरुष प्रधान समाज का पति है,
जो हर बार त्यागशील सीता को स्त्रीतत्व की परीक्षा के लिए विवश करता है और स्वयं पुरुषोत्तम बन जाता है बिना किसी परीक्षा के ।
तुम्हारा राम कूटनीतिज्ञ है,
बाली के लिए, विभीषण के लिए, रावण एवं इंद्रजीत मेघनाद के लिए।
तुम्हारा राम दिल बिहीन दिमागी राम है,
जो लक्ष्मण की मुरक्षा पर सोचता है कि उसकी माँ को क्या जबाब दूंगा ना कि भाई होकर सोचता है ।
तुम्हारा राम केवल धनुष चलाना जानता है,
फिर चाहे बाली हो या रावण या पेड़ से लटकर ईश्वर ध्यान में मग्न अछूत या फिर मूक ताड़ के वृक्ष ।
मेरा राम,
सहृदय,क्षमाशील, दयावान,पथविहीनो का पथ प्रदर्शक, न्यायप्रिय, स्वंतंत्रता प्रिय,समानता का प्रेरक, कर्तव्यपरायण,इंसानियत को धर्म मानने वाला राम प्रभु राम है ,
जो दिल में बसता है दिमाग में नही
जो धनुष से नही प्रेम और सहजता से जीतता है ।