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3 Dec 2016 · 1 min read

तेरे बिन ये दिल उदास सा रहता है

तेरे बिन ये दिल उदास सा रहता है
दर्द नैन से चुपके चुपके बहता है

रात गुजारी है बस रो रो कर तूने
तेरी कहानी तेरा काजल कहता है

डरा कभी कब प्यार जमाने से देखो
सारे गम ही ये हँस हँस कर सहता है

टूट आदमी जाता है तब जीवन में
बना महल जब उम्मीदों का ढहता है

अपने दिल में हर कोई यहाँ ‘अर्चना’
पल पल की यादें चुन चुन कर तहता है

डॉ अर्चना गुप्ता

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