तेरे तिलिस्म से वाकिफ़ हैं हम सब
तेरे तिलिस्म से वाकिफ़ हैं हम सब
ज़ज्बा खिदमते – इंसानियत हो
गजरे जहां से भी जनाजा मेरा
फूल दो चार मुझ पर भी बरसें
तेरे तिलिस्म से वाकिफ़ हैं हम सब
ज़ज्बा खिदमते – इंसानियत हो
गजरे जहां से भी जनाजा मेरा
फूल दो चार मुझ पर भी बरसें