तेरे गुनाहों पे अब पर्दा कितना है
ग़ज़ल
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गुरबत में वो देखो रोता कितना है
बिन पैसे के चहरा पीला कितना है
??
प्यार तुम्हारा दिलबर सच्चा कितना है
चांद सा तेरा चहरा भोला कितना है
??
सोच समझ के काम किया कर बंदे तू
तेरे गुनाहों पे अब पर्दा कितना है
??
आंखों को ही देख पता चल जाता है
शख्स मुहब्बत का वो प्यासा कितना है
??
मुझको जुगनूं एक अता कर दे मौला
मेरे दिल में देख अंधेरा कितना है
??
आज हुआ अहसास हमें ये जीवन भी
जो आज अपना है वो अपना कितना है
??
झांक ले “प्रीतम”आके मेरी आखों में
प्यार अभी भी दिल में गहरा कितना है
??
प्रीतम राठौर भिनगई
श्रावस्ती (उ०प्र०)