तेरे कदमों की आहट से दिलों के तार बजते हैं
बह्र:-हज़ज मुसम्मन सालिम
अरकान:- मुफ़ाईलुनx4
तेरे कदमों की आहट से दिलों के तार बजते हैं।
बजे पाज़ेब जब तेरी दिलों में साज़ सजते हैं।।
जो आहट हो लगे मुझको कि आई हो मेरे दर पे।
खनकती चूड़ियों से अब दिले गुलशन महकते हैं।।
ये काला नग है गालों पर जो चंदा सा दमकता है।
मेरा दिल है मेरी ज़ानाँ जिसे सब तिल समझते हैं।।
खुले गेसू घटा छाए मयूरा झूम कर नाचे।
भ्रम महताब हो जाये कुमुद भी जाग उठते हैं।।
गुलाबी लव कमाँ भौंहें दमक माथे पे टीके की।
फ़िज़ा रोशन हुई है ‘कल्प’ हर सू फूल खिलते हैं।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’