तेरे अधरों पे लिख दूं नया गीत मैं
ग़ज़ल/गीतिका
छंद-वाचिक स्रग्विणी
२१२ २१२ २१२ २१२
तेरे अधरों पे लिख दूं नया गीत मैं।
हार में अपनी लिख दूं तिरी जीत मैं।।(१)
प्यार बनकर बहूं बस फिजाओं में अब,
प्यार की ही लिखूं इक नयी रीत मैं।(२)
चढ सको जो तरक्की के सौपान पर,
ऐसी गढ दूं फनां सी नवीं भीत मैं।(३)
पा सकूं तेरी बाहों में बस मैं सुकूं
ऐसी लिख दूं सजन कोई नव प्रीत मैं।(४)
सबको’ मिल जाय पानी हवा ओ अटल
नीति कोई लिखूं ऐसी नवनीत मैं।(५)