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16 May 2017 · 1 min read

तेरी आंखे

तेरी आंखें

तेरी आंखों की क्या तारीफ करूं ।
ये हैं गहरी झील सनम
सोचता हूं इनमें डूब मरूं
तेरी आंखों की गहराई का
शायद कोई अन्त नही
नीली-नीली इन आंखों में
समुन्द्र लगते हैं कई
दिल चाहता है समुन्द्र में उतर
जी भर आज गोते लगा लूं ।
तेरी आंखों की क्या तारीफ करूं ।
-0-
नवल पाल प्रभाकर

Language: Hindi
605 Views
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