Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2017 · 1 min read

तेरा दरबारों को खरीदने वाले आ गए

हे ऊपर वाले,
सुन दर्द भरे मेरे नाले
जब कर दिया सब कुछ तेरे हवाले
तो क्यों होते हैं अत्याचार
तेरे दरबारों पर रोजाना
करते हैं वह, वह कि देख भाल करने वाले

पैसे कि पूजा होती हे तेरे दरबारों में
लाइन में बाहर , खड़े रहते हैं न जाने
कितने, तुझे मिलने लाचारो में
तेरे दरबार को अपना मालिकाना
हक़ समझ कर , वहां रहने वाले
पंडितों और उनके घर वालो ने !!

आजकल एडवांस बुकिंग होने लगी
है माता रानी के भी दरबारों में
बुकिंग करवाओ, तो पूजा में
शामिल हो जाओ, और तुम्हारी
छवि तब आएगी , चुनिन्दा
टेलेकास्ट करते समाचारों में !!

सोना पहनने को नहीं है आजकल
गरीब और माध्यम वर्ग के परिवारों में
चढ़ावा चढ़ा कर खूब वाहवाही लूट
रहे हैं, दो नंबर का धन कमाने वाले
,टेक्सों कि चोरी कर,अपना बैंक बैलेंस
बढ़ा कर, मंदिरों और खुदा के दरबारों में !!

हे भगवान्, क्या यही है तेरी लीला
जहाँ गरीब पिस रहा देखने को तेरी लीला
तून तो अपरम्पार है, फिर क्यों तेरा
चाहने वाला गरीब लाचार है,
“अजीत” को दर्शन दे न दे, पर उसको
दर्शन दे, जो घंटो से खड़ा , तेरे दरबार है
सुन ले पुकार उसकी, तो माया न होने के
बाद भी, करता वहां तेरा इंतज़ार है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
दोहे- उड़ान
दोहे- उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सावन बीत गया
सावन बीत गया
Suryakant Dwivedi
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
SPK Sachin Lodhi
अक्ल के दुश्मन
अक्ल के दुश्मन
Shekhar Chandra Mitra
आज के रिश्ते: ए
आज के रिश्ते: ए
पूर्वार्थ
पूर्बज्ज् का रतिजोगा
पूर्बज्ज् का रतिजोगा
Anil chobisa
तुमको कुछ दे नहीं सकूँगी
तुमको कुछ दे नहीं सकूँगी
Shweta Soni
कारगिल दिवस पर
कारगिल दिवस पर
Harminder Kaur
ससुराल का परिचय
ससुराल का परिचय
Seema gupta,Alwar
*हमारे कन्हैया*
*हमारे कन्हैया*
Dr. Vaishali Verma
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
DrLakshman Jha Parimal
*मैं भी कवि*
*मैं भी कवि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
15)”शिक्षक”
15)”शिक्षक”
Sapna Arora
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
Neelam Sharma
नर को न कभी कार्य बिना
नर को न कभी कार्य बिना
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
18- ऐ भारत में रहने वालों
18- ऐ भारत में रहने वालों
Ajay Kumar Vimal
हम भी देखेंगे ज़माने में सितम कितना है ।
हम भी देखेंगे ज़माने में सितम कितना है ।
Phool gufran
प्यारा सुंदर वह जमाना
प्यारा सुंदर वह जमाना
Vishnu Prasad 'panchotiya'
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
"असल बीमारी"
Dr. Kishan tandon kranti
अधूरी
अधूरी
Naushaba Suriya
2319.पूर्णिका
2319.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
हम जो भी कार्य करते हैं वो सब बाद में वापस लौट कर आता है ,चा
हम जो भी कार्य करते हैं वो सब बाद में वापस लौट कर आता है ,चा
Shashi kala vyas
*तुलसी के राम : ईश्वर के सगुण-साकार अवतार*
*तुलसी के राम : ईश्वर के सगुण-साकार अवतार*
Ravi Prakash
//खलती तेरी जुदाई//
//खलती तेरी जुदाई//
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
सावन‌ आया
सावन‌ आया
Neeraj Agarwal
कि दे दो हमें मोदी जी
कि दे दो हमें मोदी जी
Jatashankar Prajapati
चलो सत्य की राह में,
चलो सत्य की राह में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
Loading...