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19 Jul 2017 · 1 min read

तुलसी का वनवास हो गया

घर टूटे मिट गए वसेरे,
महलों में आवास हो गया.
ऊँचे कद को देख लग रहा,
सबका बहुत विकास हो गया.

भूल गए पहचान गाँव की,
बसे शहर में जब से आकर.
नहीं अलाव प्रेम के जलते,
सूनी है चौपाल यहाँ पर.

अधरों पर मुस्कान किन्तु
खंडित उर का विश्वास हो गया.

तन-मन झुलस रहे आतप में,
घर-बाहर है एक कहानी.
संग नदी के सूख रहा है,
हम सबकी आँखों का पानी.

देखी जब दुर्गति अषाढ़ की,
सावन बहुत उदास हो गया.

माटी से अपनापा छूटा.
सब पत्थर मुँहजोर हो गये.
घर से बिदा हुई अँगनाई,
रिश्तो के सब छोर खो गये.

बूढ़ा बरगद देखे अनमन,
तुलसी को वनवास हो गया.

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 285 Views
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