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2 Mar 2017 · 1 min read

तुम मेरी कविता हो

मेरे हर शब्द की,
अपनी,
एक अलग कहानी है,
मेरे दर्द की,
अपनी,
एक अलग रवानी है,
और इसलिए,
मै गीतों को,
शब्दों में ढाल,
तुम तक पहुंचा देता हूँ,
और तुम,
नित नए नए साज़ लेकर,
नयी नयी,
राग बुना करती हो,

शायद,
इस ही लिए,
मै कवि नहीं,
जबतक,
तुम मेरी कविता नहीं,
मेरे अंतर्मन की,
परिकल्पना नहीं,
आस की प्यासी कड़ी हूँ,
मै कवि नहीं,
पर तुम,
मेरी कविता हो,

मैंने अपने स्वप्न कणिक को,
जब जब तुम तक
पहुंचाया,
तब तब मैंने तुमको,
कुछ उदास ही पाया,
फल स्वरुप,
यह उपचार निकला,के
मैं अगर,
कविता बन कर,
तेरे दिल में रहता,
नूतन भावों को चुन चुन कर,
नित गीत नए बनाता,
नैनों के मौन इशारों को,
गतिबध कर देता,
तेरी जितनी मायूसी है,
खुद में समेट लेता,
किसी तरह से भी तुझे,
निराश न होने देता,

जीवन को तेरे,
इन्द्रधनुषी कर देता,
अंकुर नया प्रेम का,
ह्रदय में खिला देता,
दिल की खिड़की खोल प्रिय,
यौवन रस बरसाता,
और तुम,
नए नए स्वप्न सजाकर,
नयी नयी राह चुना करती,
मै अगर,
कविता बनकर,
तेरे दिल में रहता,
तेरे दिल में रहता |

Language: Hindi
1040 Views
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