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1 Mar 2017 · 1 min read

तुम बिन कब तक रहूँ अधूरी

जब से गये हो तुम मेरे सजना
याद नहीं दिन रात महीना

दिन सूना है, रात है सूनी
दिल की हर एक बात है सूनी

बिंदियाँ रूठी, रूठे कंगना
भूल गई अब सजना-संवरना

नैना तेरे दरस को तरसे
आँखे मेरी हरदम बरसे

आकर मेरी प्यास बुझा दो
मिलने की कुछ आस बंधा दो

आ भी जाओ अब तो सजना
मुश्किल हो गया तुम बिन जीना

अब न सही जाये ये दूरी
तुम बिन कब तक रहूँ अधूरी

तुम बिन कब तक रहूँ अधूरी????

************************
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
भोपाल
*************************

Language: Hindi
507 Views
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