तुम करो इबादत राम की
MAR
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तुम करो इबादत राम की , मैं अकबर -अल्लाह कहता हूँ।
जब चोट तुम्हे लग जाती है,मैं भी दुःख उसका सहता हूँ।।
तुम मेरे घर आते जाते , मैं घर में तुम्हारे आता हूँ।
तुम मेरे दिल में रहते हो ,मैं दिल में तुम्हारे रहता हूँ।।
तुम भी भारत माँ के जाये, मैं उसका पुत्र कहाता हूँ।
मुझे न जब तक तुम मिलते , चैन नहीं मैं पाता हूँ।।
मोहन और मुनीर यहाँ , इक चारपाई पे सोते हैं।
जब कोई ग़मज़दा हो जाता,दोनों मिलकर ही रोते हैं।।
मीरा और रहीम यहाँ , कृष्ण -भक्ति-रस गाते हैं।
मलिक जायसी औरकबीरा,अल्लाह -राम मनाते हैं।।
होली और ईद में मिलकर,सब खुशियां यहाँ मनाते हैं।
सूफी ,संतों की महफ़िल में ,मधुरिम गीत सुनाते हैं।।
एक हाथ मेंपावन गीता , दूजे हाथ पाक कुरान है।
हिंदी -उर्दू दो सखिया हैं ,दोनों ही मेरी ज़ुबान हैं।।
बहु भाषा -भाषी हैं हम ,और भिन्न -२ परिधान हैं।
प्यार यहाँ की ही भाषा ,ऐसा मेरा हिंदुस्तान है।
अब्दुल हमीद जंग में जाकर ,दुश्मन के टैंक उडाता है।
जहाँ खुद को गोली मारे आज़ाद,यह भारत देश कहाता है।
सीमाओं की रक्षा खातिर , सैफुद्दीन बन्दूक उठाता है।
सीने पर गोली खाकर भी , वन्दे -मातरम गाता है।