तुम कब जागोगे प्यारे…?
मैंने पूछा !
तुम कब जागोगे प्यारे ?
क्या जब मेधा मिट जायेगी
या जब दक्षता लुट जायेगी
चमत्कार की आश लगाये
क्या जब झमता पिट जायेगी ।
मैंने पूछा !
तुम कब जागोगे प्यारे ?
क्या जब आरक्षण का प्रतिशत सौ होगा
या जब बूझता दिपक का लौ होगा
चमत्कार की आश लगाये
समक्ष पडा मेधावी का सव होगा।
मैंने पूछा !
तुम कब जागोगे प्यारे ?
क्या जब भ्रष्टाचार का चरम होगा
या कुब्यवस्था का लहराता परचम होगा
गली चौक चौराहे हर दिन
शिक्षा का चीर हरण होगा।
मैंने पूछ !
तुम कब जागोगे प्यारे ?
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”