तुम आ जाना
तुम आ जाना
क़भी राम तो कभी श्याम बन मोहब्बत का रंग बरसाने आ जाना,,,,,,,,,
तुम अपनी प्रियसी से मिलने मंदसौर की गलियों में आ जाना,,,,,,,,,।
कभी हाथों में धनुष तो कभी डमरू लेकर आ जाना,,,,,,,,,।
प्रेम का संगीत मेरे मेरे रग रग में भर चले जाना,,,,,,,,।।।
कभी हाथों में वीणा तो कभी पाँवो में घुंगरू बांध आ जाना,,,,,,,।।।
अपने प्रेम का मधुर राग मुझकों आकर सुना जाना,,,,
कभी माथे पर बांध जटा,कभी हाथों में शंख लिए आ जाना,,,,,,,,,।।।
अपनी प्रेम भरी बारिस से मेरे दिल गुल को सींच जाना ।।।।।।।।।।
आना इस तरह की कभी वापिस न जाना,,,,,,
सोनू का ही साजन बन मंदसौर की गलियों में बस जाना,,,,,,,,,,,,।।।।।
अपनी सच्ची प्रेम कहानी को सच कर दुनिया को दिखा जाना,,,,,,,,,,,,,,।।।
मोहब्बत की परिभाषा क्या होती है दुनिया के हर लैला मजनू को बतला जाना।।।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन
कॉपीराइट सुरक्षित