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9 Jun 2017 · 1 min read

तुम आओ (डॉ. विवेक कुमार)

तुम आओ इस तरह
जैसे आती है नदियाँ सागर की लहरों में
समा जाने के लिए।

तुम आओ इस तरह
आती है जैसे बेचैन व्यक्ति को
किसी की दुआओं के असर से करार।

तुम आओ इस तरह
जैसे आती है
घटाटोप अँधेरी रात के बाद संभावनाओं कि नई सुबह।

तुम आओ इस तरह
जैसे आती है
किसी की स्मृतियों की खुशबू
मन प्राण को उत्फुल्ल करने के लिए।

तुम आओ इस तरह
जैसे आती है माँ की लोरी से
मुन्ने की पलकों में मीठी नींद की झपकियाँ।

तुम आओ इस तरह
जैसे आती है
वर्षों बाद किसी आत्मीय के आगमन पर अनिवर्चनीय खुशी।

तुम आओ इस तरह
जैसे आती है
फूलों की खुशबू से लबरेज हवा।

प्रतीक्षा में हूँ मैं
सदियों से तुम्हारे आने की…।

तेली पाड़ा मार्ग, दुमका, झारखंड।
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 579 Views
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