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28 Aug 2018 · 1 min read

तुम्ही पहली पहली मुहब्बत हो मेरी

तुम्ही पहली पहली मुहब्बत हो मेरी
तुम्ही हर ग़ज़ल खूबसूरत हो मेरी

यूँ ही चल रही थीं ये साँसे थी बेदम
तुम्हीं ने सजाये इन्हीं में ये सरगम
खिलाये यहाँ फूल महकाया जीवन
तुम्हीं से हुई मेरी दुनिया ये रोशन
तुम्हीं मन के मंदिर की मूरत हो मेरी

मिले थे कभी अजनबी की तरह हम
मगर आज जीने की ही हैं वजह हम
है ये जन्मों जन्मों का रिश्ता हमारा
बहेगी दिलों में यही प्रेम धारा
न बस प्यार हो तुम इबादत हो मेरी

हमेशा चलेंगे कदम हम मिलाकर
कहानी मुहब्बत की हम गुनगुनाकर
विरह के न आयेंगे मौसम कभी भी
न मर के भी होंगे अलग हम कभी भी
तुम्हीं बन गई अब तो आदत हो मेरी

तुम्हीं चाँद हो मेरे मन के गगन का
तुम्हीं एक सपना हो मेरे नयन का
मैं बेनाम हूँ मेरी पहचान हो तुम
मैं बेजान सी हूँ मेरी जान हो तुम
बसी धड़कनों में वो उल्फत हो मेरी

28-08-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1 Comment · 385 Views
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