तुम्हारे लहज़े को हमारे दिल से,ये कैसी सिकायात है….
तुम्हारे लहज़े को हमारे दिल से, ये कैसी सिकायत है
नाज़ुक से दिल के रिश्ते में ,ये कैसी सियासत है
मोहब्बत में सारी जरूरत के मतलब भी भूल जाता हूं
खुदा ने इश्क़ की नजरो को सौंपी , ये कैसी इनायत है।
(अवनीश कुमार)