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20 Aug 2016 · 1 min read

तुम्हारी याद के साये

अँधेरे आप घिर जाते
घटा घनघोर जब छाये
हुए अब और भी गहरे
तुम्हारी याद के साये

गुजर कितने गए मौसम
हुआ पतझार बस अपना
हमारे एक होने का
अधूरा ही रहा सपना
हमारी ज़िन्दगी में तो
उजाले फिर नहीं आये
हुए अब और भी गहरे
तुम्हारी याद के साये

भरी तन्हाइयों में भी
न मन का शोर जीने दे
नहीं मिलती दवा गम की
जहर कोई न पीने दे
हमारी आँख से सावन
रुके से रुक नहीं पाये
हुए अब और भी गहरे
तुम्हारी याद के साये
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उ प्र)

Language: Hindi
Tag: गीत
5 Comments · 707 Views
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