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3 Mar 2017 · 1 min read

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें

जंगल सी घनी हैं तुम्हारी यादें
ऊँचे ऊँचे पड़े सटकर खड़े है
बीच से गुजरती हवा
सरसराते पत्तों का शोर
सुकून देती शीतलता तुम्हारा स्पर्श…

पांवों से उलझतीं लताएं
तुम रोक रहे हो जाने से,
झाड़ियों उलझता दामन
तुमने पकड़ लीं है बांहें….

पपीहे की तान,
कोयल का गीत,
कानों को छूकर निकलती हवा
सीटियां सी बजाती है
यूँ कि जैसे तुम गा रहे हो गीत
या धीरे से कानों में कह रहे हो
मन की बात…

मंजूषा मन

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 670 Views
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