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16 Jan 2021 · 1 min read

तुम्हारी नजरों में हमने देखा

तुम्हारी नजरो में हमने देखा
***********************
अनोखी मस्ती है अनूठा उन्माद
तुम्हारी नजरो में हमने देखा

झुकाया जिस ने सदैव पैरों में
झुकते कदमों में हमने देखा

कसूरवार को था छोड़ता रहा
फंसते दलदल में हमने देखा

अंजुमन में हँसते आते नजर
रोते तन्हाई में हमने देखा

सदा जोड़ता रहा प्रेम डोर में
बिखरते सपनों में हमने देखा

मनसीरत सभी को समझे बैठा
खुद उसे उलझन में हमने देखा
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
183 Views
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