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5 Dec 2017 · 1 min read

तुम्हारा शौंदर्य

तुम्हारा शौंदर्य

तेरी आँखें
तेरा चेहरा
उतर गया
सीने अंदर
तोड कर
सारा पहरा
चेहरे पर
मद भरी
नशीली आँखें
नुकीली नाक
लाल कमल
पंखुरी से होंठ
शरारती हवा
बार-बार
टकरा कर
छेडती तेरी
जुल्फों को
काली लट भी
इधर-उधर
लहरा कर
बिखरती हुई
चेहरे पर
और सुन्दरता
बढा देती है
गोरे चेहरे को
और गोरा
बना देती है।
पूरा शरीर
ढला हुआ
किसी तरासी
मूर्ति -सा
हर जगह
अलग-अलग
हर अंग
अपनी जगह
शोभायमान
हो रहा
हाथों का
अपनी जगह
अपना अलग
महत्व है
टांगे भी
खिली-खिली
हरे कपडों
से ढकी
अपना महत्व
जता रही हैं
आगे पिछे
बढ कर ये
उन्हें ओर
लहरा रही हैं
वाकई तुम
क्या हो
क्या इन्द्र की
हूर हो
या फिर
आसमां से
उतरी हुई
तुम कोई
परी हो।
-0-

Language: Hindi
230 Views
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