तुझसे बिछड़कर जाये कहाँ
तुझसे बिछड़कर जाये कहाँ
चाँद से बिछड़कर आज तक चकोर जिंदा है,
मुश्किलें कितनी है इश्क की राहों में फिर भी आशा अभी जिंदा है।।।।
तुझसे बिछड़कर जाये भी तो कहां बता दे तू हमें,
तेरे बगैर नही मिलता कही भी चैन हमें।।।।।
तुम ही तो मेरे असली खुशियों का ताज हो सुनो न,
मेरे संगीत के तरानों का तुम्ही तो साज हो सुनो न।
कुछ तो तुम भी अपने दिल का हाल काव्य के रास्ते हमसे कह लो,
अपने दिली दर्द का हाल चंद अल्फाज़ो में हम से कह लो।।।।।।
महज गुजरा सिर्फ आठ पहर ही है पर लगता बर्षो गुजर गये,
तेरी मधुर रस भरी आवाज को हम फिर आज सुनने को तरस गये।।।।।
पढ़कर मेरे दर्द भरे अल्फाज़ो को हाल मेरा तु जान लेना,
इश्क बड़ा बेदर्दी है कह दिल को अपने समझा लेना।।
बिछड़कर जिंदा रहे भी तो कब तक,
ये दिल आहें भरेगा तु नही मिलेगा तब तक।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
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