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26 Apr 2020 · 1 min read

((((तुकबंदी))))

(((((((तुकबंदी)))))))

ज़िन्दगी ने नाजाने कितने कागजों पर
आजमाया मुझको.

रंग मेरे खून का बना के सांसों ने उलझाया
मुझको।

एक दर्द भरी ग़ज़ल जैसी थी मेरी खुशियां,
दर्द समझ ही दर्द ने गाया मुझको।

मुक़द्दर मेरा था कच्ची कलम सा सहारा,मेरे
हाथ ने ही खूब नचाया मुझको.

करता रहा तुकबंदी एक एक पल की,बिना खुद
को पहचाने ही खुद से मैंने मिलाया मुझको।

तस्वीर बन रही थी धीरे धीरे महफिलों में मेरे नाम
की,कुछ अपनो ने ही धीरे धीरे पीछे हटाया मुझको।

रहा ना मैं किसी जुबान का मालिक,अपने ही वतन
में काफिर कहकर बुलाया मुझको।

Language: Hindi
2 Likes · 320 Views
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