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31 Aug 2018 · 1 min read

तीस साल पहले का दौर-व-तीस साल बाद का शोर

तीस साल पहले जब बोफोर्स का था शोर , तीस साल बाद अब-जब राफेल पर है जोर। बोफोर्स में तब चौंसठ करोड का घपला था, राफेल में अब तीस से चालीस हजार करोड का लफडा है,तब की सरकार बोफोर्स की चोट न झेल पाई, अब की सरकार भी किन्तु-परन्तु के फेर में है उलझाइ. तब की सरकार सबसे ज्यादा सांसदों से थी सुसजित , अब की सरकार भी है,पूर्ण बहुमत से गठित । तब के मुखिया ने स्पस्टवादी की पहचान थी बनाई, अब के मुखिया की भी साफगोई थी काम आई .। तब के मुखिया के वह काम जो उनकी याद दिलाते हैं , संचार क्रान्ती,कम्प्यूटर युग,पंचायतों को अधिकार , और नौ जवानों को दिया गया मत्ताधिकार । अब के मुखिया की उपलब्धियां भी रहेंगी यादगार, जन-धन के बैंक खाते,अटल पेंशन,न्यूनत्तम बीमा राशि, नोट बन्दी,जी०एस०टी०, व उज्वला गैस की पालिसी ।गिनाने को कई बडे-बडे और हैं काम, जो देते हैं इन दोनों की प्रतिभा को नया आयाम । किन्तु कब लम्पट ब्यक्तियों के द्वारा इन्हे घेरा गया, यह पता ही नही चला, फिर तो सम्भलने का मौका ही नही मिला ,ब हुत देर हो गयी ,और सत्ता फिसल गई । आज भी वही माहौल बन रहा,सत्ता से इकबाल टूट रहा,सरकार आती-जाती रही,पर भ्रष्टाचार कायम रहा, न उनका इकबाल शेष था,न इनका इकबाल बाकी रहा आरोप हैं दोनो तरफ,और समाधान है लटका हुआ ।

Language: Hindi
338 Views
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