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31 May 2018 · 1 min read

तीर नज़रों का मेरे दिल पे चला करता है

चंद अशआर

अब रक़ीबों के लिए कौन दुआ करता है
आदमी आग में नफ़रत की जला करता है

2-
जब भी मैं हँसता हुआ देखता हूँ उसको तो
तीर नज़रों का मेरे दिल पे चला करता है

3-
अपनी नरमी को नहीं छोड़ता है फूल कभी
जबकि गुल काँटों के साये में पला करता है

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)

147 Views
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