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13 May 2017 · 1 min read

माँ और बेटियाँ

पाप अपने कुछ मिटाने चल दिए
लोग गंगा में नहाने चल दिए
तीर्थ घर में है हमारे सोचकर
पैर माँ के हम दबाने चल दिए

स्कूल में पढना पढ़ाना आ गया है
अब उन्हें भी मुस्कुराना आ गया है
बोझ होती हैं नहीं ये बेटियाँ अब
खुद उन्हें बोझा उठाना आ गया है

Language: Hindi
286 Views
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