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4 Apr 2017 · 1 min read

तीन मुक्तक रामनवमी पर

जय श्री राम जय श्री राम के नारे तो लोमहर्ष हुए।
लेकिन उसी समाज के द्वारा खंडित तुम्हारे आदर्श हुए।
हें राम आज की दुनियां में आदर्श आपके जो भी थे।
उन आदर्शो पर चलने को सब जगह सिर्फ परामर्श हुए।
*

पिता वचन से राज त्याग गिरि कानन कोई निवास करें।
होकर अभिषेक तख्तनवीस बस पिता का उपहास करें।
भाई के कारण भाई को कष्ट कभी भी हो न सके।
ऐसे आदर्शो के बस किस्से है चाहे कितनी बकवास करें।
*

राम राज हम लायेंगे यह सब कहने में क्या जाता है।
पर राम राज क्या होता था यह जान न कोई पाता है।
अरे छोडो जुमले कहानी किस्से बेसिरपैर कथाये तुम।
खुद आदर्श राम के पालो तो फिर राम राज भी आता है।

**********मधु सूदन गौतम

राम नवमी की बधाई सभी को

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