Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Oct 2016 · 1 min read

तीन तलाक

खुश हो लिए तुम तीन बार तलाक कह कर,
पता है मन भर गया है तुम्हारा साथ रह कर।

एक पल को भी नहीं सोचा कहाँ जाऊँगी मैं,
क्या तुम्हारा दिया यह दुःख सह पाऊँगी मैं।

सबने मंजूरी दे दी तलाक को बिना इजाजत,
खुदा का भी खौफ रहा नहीं आएगी कयामत।

क्या भविष्य रहेगा मेरे बच्चों का नहीं सोचा,
ज़िस्म को क्या तुमने मेरी रूह को भी नोचा।

बोलो कोई तो क्यों मैं बार बार निकाह पढ़ाऊँ,
कोई पशु नहीं हूँ जो हर रोज खूँटे बदले जाऊँ।

क्या होगा जब दूसरे तीसरे का मन भर जाएगा,
बूढ़ी हो जाऊँगी ऐसे ही मैं, कौन साथ निभाएगा।

तलाक के साथ मेहर देकर अहसान जताते हो,
साथ में जवानी के वो साल क्यों नहीं लौटाते हो।

बराबरी का दर्जा मुझे भी चाहिए ये मेरा हक है,
गलत फायदा उठा रहे हो तुम कोई नहीं शक है।

मेरी जिंदगी का फैसला दूसरे करें ये मंजूर नहीं,
जब बदला जाएगा रिवाज अब वो दिन दूर नहीं।

सुलक्षणा एक साथ लड़नी होगी ये लड़ाई हमें,
वरना जीने नहीं देंगे चैन से ये मर्द अन्यायी हमें।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

Language: Hindi
3 Likes · 1938 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मसला ये नहीं की उसने आज हमसे हिज्र माँगा,
मसला ये नहीं की उसने आज हमसे हिज्र माँगा,
Vishal babu (vishu)
भाई बहन का प्रेम
भाई बहन का प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
*इमली (बाल कविता)*
*इमली (बाल कविता)*
Ravi Prakash
गुनो सार जीवन का...
गुनो सार जीवन का...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
सत्य कुमार प्रेमी
आसमाँ  इतना भी दूर नहीं -
आसमाँ इतना भी दूर नहीं -
Atul "Krishn"
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
--: पत्थर  :--
--: पत्थर :--
Dhirendra Singh
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
Neelam Sharma
बांते
बांते
Punam Pande
मौसम का मिजाज़ अलबेला
मौसम का मिजाज़ अलबेला
Buddha Prakash
संजय भाऊ!
संजय भाऊ!
*Author प्रणय प्रभात*
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
Dr MusafiR BaithA
मिलेट/मोटा अनाज
मिलेट/मोटा अनाज
लक्ष्मी सिंह
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
Rajesh
यादगार बनाएं
यादगार बनाएं
Dr fauzia Naseem shad
दिल की पुकार है _
दिल की पुकार है _
Rajesh vyas
संविधान की मौलिकता
संविधान की मौलिकता
Shekhar Chandra Mitra
हमारी मंजिल को एक अच्छा सा ख्वाब देंगे हम!
हमारी मंजिल को एक अच्छा सा ख्वाब देंगे हम!
Diwakar Mahto
"सुहागन की अर्थी"
Ekta chitrangini
सुन्दरता।
सुन्दरता।
Anil Mishra Prahari
💐अज्ञात के प्रति-67💐
💐अज्ञात के प्रति-67💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
**विकास**
**विकास**
Awadhesh Kumar Singh
बहुत देखें हैं..
बहुत देखें हैं..
Srishty Bansal
बचपन और पचपन
बचपन और पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बड़े हो गए नहीं है शिशुपन,
बड़े हो गए नहीं है शिशुपन,
Satish Srijan
आग से जल कर
आग से जल कर
हिमांशु Kulshrestha
चले ससुराल पँहुचे हवालात
चले ससुराल पँहुचे हवालात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...