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25 Oct 2021 · 2 min read

तीन गीत

गीत: चांदनी- सी तुम रहो
**********************************
चाँद- सा मैं और बनकर चाँदनी- सी तुम रहो
(1)
साथ में मृदु हास लेकर हम गगन गाते रहें
हाथ में ले हाथ छवियों के सुमन भाते रहें
कान में विश्वास आकर कुछ ऋचाएं नित
कहो
चांद – सा मैं और बनकर चांदनी- सी तुम रहो
(2)
हम शरद की स्वच्छ पावन गंध नित पीते रहें
भेद सांसों का समझ हम नासमझ जीते रहें
मोह से आओ कहें, तुम प्राण में आकर बहो
चांद- सा मैं और बनकर चांदनी- सी तुम रहो
(3)
युग- युगों तक चहचहाते मुस्कुराते हम चलें
सात जन्मों तक हमारे स्वप्न मधुमय हो पलें
नेह से जो घर बनाया है कभी खंडित न हो
चांद – सा मैं और बनकर चांदनी-सी तुम रहो
*****************************
सात जन्म का नाता: गीत
*****************

पाया जाता सिर्फ हिंद में सात जन्म का नाता
(1)
खुशकिस्मत यह देश जहां पर सप्तपदी पाते
हैं
खुशकिस्मत यह देश निभाए वचन जहां
जाते हैं
जहां होंठ पर नाम तलाकों का कब अब भी
आता
पाया जाता सिर्फ हिंद में सात जन्म का नाता
.(2)
एक चांद से रहा सुशोभित जैसे यह नभ
सारा
पत्नी के, पति के मन में विश्वास असीमित
गाढ़ा
जहां गृहस्थी का हर कोना मधुर नेह को
गाता
पाया जाता सिर्फ हिंद में सात जन्म का नाता
(3)
बड़े भाग्य से घर की दीवारों में मधु बसता है
बड़े भाग्य से धवल गृहस्थी निर्मल मन
हंसता है
बड़े भाग्य से प्यार किसी का कोई जन है
पाता
पाया जाता सिर्फ हिंद में सात जन्म का नाता
********************************
करवा चौथ : गीत
***************
प्रथा सिर्फ भारत में करवा चौथ मनाने वाली
(1)
सिर्फ यहाँ पति की खातिर उपवास किए
जाते हैं
कभी नहीं तोड़ेंगे जोड़ी, वचन दिए जाते हैं
बात तलाकों की करना, समझी जाती है
गाली
प्रथा सिर्फ भारत में करवा चौथ मनाने
वाली
(2)
यहां शादियों का मतलब है सारी उम्र
निभाना
यहां शादियों का मतलब जन्मों का ताना-बाना
चाल फरेब यहां कब , नीयत होती भोली-भाली
प्रथा सिर्फ भारत में करवा चौथ मनाने वाली
(3)
दुनिया के देशों में चट शादी तलाक पट होते
आज हुई शादी तो रिश्ता अगले दिन ही
खोते
शादी है अनुबंध वहां पर, विश्वासों से खाली
प्रथा सिर्फ भारत में करवा चौथ मनाने वाली
(4)
रोजाना पत्नियां छोड़तीं, कहतीं हुआ पुराना
गठबंधन बस समझो शादी, चालू है याराना
नहीं दाल में काला, समझो दाल समूची
काली
प्रथा सिर्फ भारत में करवा चौथ मनाने वाली
***************:*****************
रचयिता : रवि प्रकाश , रामपुर

Language: Hindi
Tag: गीत
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