तिश्नगी लेके हम किधर जाएँ
आज की हासिल
——-ग़ज़ल——–
2122–1212–22
1-
आज हम हद से यूँ गुज़र जाएँ
तेरे पहलू में आके मर जाएँ
2-
प्यास बुझती नहीं सराबों से
तिश्नगी लेके हम किधर जाएँ
3-
देखकर ज़ुल्म की हुक़ूमत को
आदमी आदमी सिहर जाएँ
4-
आरज़ू है यही तो धड़कन की
मेरी सांसों में वो उतर जाएँ
5-
रहगुज़र में वो फूल बन करके
काश! आकर के वो पसर जाएँ
6-
दिल के अरमान पूरे हों सारे
मेरे घर पर जो वो ठहर जाएँ
7-
उनकी डोली को लेके अब “प्रीतम”
है दुआ शम्स-ओ- क़मर जाएँ
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)