तराने जिन्दगी के
दिल के तराने अचानक याद आ गए
बीते दिन वो अफसाने याद आ गए
मकान हमारे कच्चे पर दिल पक्के थे
उस कच्चे घर में सब रहते इकट्ठे थे
मकान पक्के कब दिल कच्चे हो गए
बीते दिनों के अफसाने याद आ गए
वो बीते दिन सचमुच कितने अच्छे थे
जब हम हब मिलजुल रहते इकट्ठे थे
संयुक्त से कब एकल.परिवार हो गए
बीते दिनों के अफसाने याद आ गए
बचपन की अठखेलियां याद आती है
संग साथ खेली मस्तियाँ भी रूलाती हैं
वट्सऐप फेसबुक में बेहद तक खो गए
बीते दिनों के अफसाने याद आ गए
बड़ो का घर में सदा रौब शौब होता था
औरतों का घर में मान.सम्मान होता था
मान मर्यादा शर्म हया के सफाए हो गए
बीते दिनों के अफसाने याद आ गए
दिलकश और मनमौजी खेल खेलते थे
खेल खेलमें खूब रेलते लड़ते झगड़ते थे
वीडियो गेम और भीम में वो खेल खो गए
बीते दिनों के अफसाने याद आ गए
खास दिन खास खास पकवान बनते थे
खास दिन का खास इन्तजार करते थे
खास दिन वो कब आम दिन.हो गए
बीते दिनों के अफसाने याद आ गए
माता पिता ने खूब लाड लडाया था
चाचे ताऊ ताइयो़ ने प्यार जताया था
पत्नी प्रेम में माँ बाप पराए हो गए
बीते दिऩ के अफसाने याद आ गए
दिल के तराने अचानक याद आ गए
बीते दिनों के अफसाने याद आ गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत