तब से जवां हुई है मुहब्बत नई नई
लिख दी है जब से दिल की वसीयत नई नई
तब से जवां हुई है मुहब्बत नई नई
बचपन गया जवानी में रक्खे कदम जरा
मिलने लगी सभी से नसीहत नई नई
यूँ लड़खड़ाते देख के उनके कदम लगे
शायद मिली है उनको ये शोहरत नई नई
करते जिरह भी ठीक से अपनी अभी नहीं
सीखी जो है उन्होंने वकालत नई नई
धरती न कैसे काँपे जो बनती ही जा रहीं
यूँ काट कर वनों को इमारत नई नई
भाने लगीं हैं चाँद सितारों की बात अब
हमको हुई है ‘अर्चना’ उल्फत नई नई
डॉ अर्चना गुप्ता