Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2017 · 1 min read

तब से जवां हुई है मुहब्बत नई नई

लिख दी है जब से दिल की वसीयत नई नई
तब से जवां हुई है मुहब्बत नई नई

बचपन गया जवानी में रक्खे कदम जरा
मिलने लगी सभी से नसीहत नई नई

यूँ लड़खड़ाते देख के उनके कदम लगे
शायद मिली है उनको ये शोहरत नई नई

करते जिरह भी ठीक से अपनी अभी नहीं
सीखी जो है उन्होंने वकालत नई नई

धरती न कैसे काँपे जो बनती ही जा रहीं
यूँ काट कर वनों को इमारत नई नई

भाने लगीं हैं चाँद सितारों की बात अब
हमको हुई है ‘अर्चना’ उल्फत नई नई

डॉ अर्चना गुप्ता

308 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
"वक्त वक्त की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
नूरफातिमा खातून नूरी
फितरत
फितरत
Sidhartha Mishra
जय माता दी -
जय माता दी -
Raju Gajbhiye
भरोसा प्यार उम्र भर का,
भरोसा प्यार उम्र भर का,
Satish Srijan
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*Author प्रणय प्रभात*
मुश्किल है कितना
मुश्किल है कितना
Swami Ganganiya
💐प्रेम कौतुक-247💐
💐प्रेम कौतुक-247💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मईया एक सहारा
मईया एक सहारा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुद्रा नियमित शिक्षण
मुद्रा नियमित शिक्षण
AJAY AMITABH SUMAN
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
Ravi Prakash
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
न्याय तुला और इक्कीसवीं सदी
न्याय तुला और इक्कीसवीं सदी
आशा शैली
कौन हूँ मैं ?
कौन हूँ मैं ?
पूनम झा 'प्रथमा'
हरे कृष्णा !
हरे कृष्णा !
MUSKAAN YADAV
कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये
कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अतीत
अतीत
Shyam Sundar Subramanian
एहसास दिला देगा
एहसास दिला देगा
Dr fauzia Naseem shad
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
नेताम आर सी
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
Manisha Manjari
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बाल कविता: मुन्नी की मटकी
बाल कविता: मुन्नी की मटकी
Rajesh Kumar Arjun
ग़ुमनाम जिंदगी
ग़ुमनाम जिंदगी
Awadhesh Kumar Singh
माँ कहती है खुश रहे तू हर पल
माँ कहती है खुश रहे तू हर पल
Harminder Kaur
एक शख्स
एक शख्स
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
पूर्वार्थ
2649.पूर्णिका
2649.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...