तन मन तड़पत
डमरू घनाक्षरी
तन मन तड़पत, फडकत तन मन।
दम दम दमकत , नटखट जन जन।
टप टप टपकत,घर घर छत छत।
बरसत रह रह, समय समय पर।
पल पल तरसत, धड़ धड़ धड़कत।
रह रह सरकत,तड़पत तड़पत।
चल हट घर चल, मत कह चल घर।
अब चल चल पढ़ ,पढ़ अब घर पर।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, “प्रेम”