तथाकथित बुद्धिजीवी
वे आयातित विचारों के कायल हो गए
पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित हो गए
फैशन में फ़ैंचकट जोकर से हो गए
वामपंथी एजेंडे पर कायम हो गए
तभी से सुना है वे तथाकथित बुद्धिजीवी हो गए
अपनी ही मां को डायन बोलते हैं
सुना है भाड़े पर राष्ट्रविरोधी बोलते हैं
समाज को जाति पाति फिरकों में तौलते हैं
खुद का कोई दिमाग नहीं था
अपने घर में ही कोई पूछता नहीं था
दुनिया भर का कचरा भेजे में भरा है
शरीर से जिंदा है आत्मा से मरा है
विघ्नसंतोषी हीन भावना से ग्रस्त मनोरोगी हैं
पत्नी भाग गई है फिर भी प्रेम रोगी हैं
नौजवानों को वहकाते हैं अलगाव चरमपंथ पढ़ाते हैं
शिक्षण संस्थाओं में देश विरोधी एजेंडे चलाते हैं
यही परजीवी तथाकथित बुद्धिजीवी कहलाते हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी