Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2018 · 4 min read

तकलीफ़ पर शा’इरों का नज़रिया

तकलीफ़ पर शा’इरों का नज़रिया
संकलनकर्ता: महावीर उत्तरांचली

(1.)
शहर में है इक ऐसी हस्ती
जिस को मिरी तकलीफ़ बड़ी है
—राजेन्द्र नाथ रहबर

(2.)
टूटे ख़्वाब न जान सके
ऑंखों की तकलीफ़ कभी
—रमेश प्रसून

(3.)
बड़ी तकलीफ़ देते हैं ये रिश्ते
यही उपहार देते रोज़ अपने
—महावीर उत्तरांचली

(4.)
ता-चंद रस्म-ए-जामा-दरी की हिकायतें
तकलीफ़ यक-तबस्सुम-ए-पिन्हाँ तो कीजिए
—जोश मलीहाबादी

(5.)
हम ने भी तकलीफ़ उठाई है आख़िर
आप बुरा क्यूँ मानें सच्ची बातों का
—समीना राजा

(6.)
‘हफ़ीज़’ अहल-ए-गुलिस्ताँ से हमारा हाल मत कहना
उन्हें ज़िक्र-ए-असीर-ए-दाम से तकलीफ़ होती है
—हफ़ीज़ बनारसी

(7.)
चंद क़तरों के लिए दरिया को क्यूँ तकलीफ़ दी
मेरी जानिब देख लेते मैं कोई सहरा न था
—इक़बाल अशहर

(8.)
तू ही कर तकलीफ़ ओ पैक-ए-सबा
मुंतज़िर हैं वो मिरे पैग़ाम के
—इस्माइल मेरठी

(9.)
अश्क-ए-ग़म पीने में तकलीफ़ तो होती है मगर
सोचता हूँ कि मोहब्बत तिरी रुस्वा होगी
—अंजुम सिद्दीक़ी

(10.)
किसी के इश्क़ में तकलीफ़ कुछ नहीं होती
किसी से चार-घड़ी दिल लगा के देख न लो
—मुज़्तर ख़ैराबादी

(11.)
और इक चोट दीजिए मुझ को!
मेरी तकलीफ़ ना-मुकम्मल है
—साजिद असर

(12.)
हाल अहवाल क्या बताएँ हम
कोई तकलीफ़ है न राहत है
—अब्दुल मन्नान समदी

(13.)
जाती हुई मय्यत देख के भी वल्लाह तुम उठ कर आ न सके
दो चार क़दम तो दुश्मन भी तकलीफ़ गवारा करते हैं
—क़मर जलालाबादी

(14.)
सुराही का भरम खुलता न मेरी तिश्नगी होती
ज़रा तुम ने निगाह-ए-नाज़ को तकलीफ़ दी होती
—क़ाबिल अजमेरी

(15.)
ऐ ‘ज़ौक़’ तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर
आराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता
—शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

(16.)
सख़्त तकलीफ़ उठाई है तुझे जानने में
इस लिए अब तुझे आराम से पहचानते हैं
—फ़रहत एहसास

(17.)
जब कोई शख़्स कहीं ज़िक्र-ए-वफ़ा करता है
दिल को ऐ दोस्तो तकलीफ़ बड़ी होती है
—अहमद राही

(18.)
और थोड़ी सी कीजिए तकलीफ़
दो क़दम पर ग़रीब-ख़ाना है
—जिगर जालंधरी

(19.)
हवा सनके तो ख़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
मिरे ग़म की बहारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
—अब्दुल हमीद अदम

(20.)
ऐ ‘ज़ौक़’ तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर
आराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता
—शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

(21.)
ऐ ताब-ए-बर्क़ थोड़ी सी तकलीफ़ और भी
कुछ रह गए हैं ख़ार-ओ-ख़स-ए-आशियाँ हनूज़
—मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

(22.)
साक़ी तुझे इक थोड़ी सी तकलीफ़ तो होगी
साग़र को ज़रा थाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
—अब्दुल हमीद अदम

(23.)
नज़’अ की और भी तकलीफ़ बढ़ा दी तुम ने
कुछ न बन आया तो आवाज़ सुना दी तुम ने
—क़मर जलालवी

(24.)
दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुई
लेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया
—अज्ञात

(25.)
किसी का एहसान हम न लेंगे किसी को तकलीफ़ कुछ न देंगे
ख़ुदा ने पैदा किया है हम को ख़ुदा ही से इल्तिजा करेंगे
—आग़ा हज्जू शरफ़

(26.)
ख़्वाजा ख़िज़्र सुनो हम कब से इस बस्ती में भटकते हैं
तुम को अगर तकलीफ़ न हो तो जंगल तक पहुँचा देना
—इरफ़ान सिद्दीक़ी

(27.)
अँधेरे से ज़ियादा रौशनी तकलीफ़ देती है
ज़माने को मिरी ज़िंदा-दिली तकलीफ़ देती है
—सहर महमूद

(28.)
दिल डूब न जाएँ प्यासों के तकलीफ़ ज़रा फ़रमा देना
ऐ दोस्त किसी मय-ख़ाने से कुछ ज़ीस्त का पानी ला देना
—अब्दुल हमीद अदम

(29.)
इतना भी किसी दोस्त का दुश्मन न हो कोई
तकलीफ़ है उन के लिए आराम हमारा
—कलीम आजिज़

(30.)
सुख़न की न तकलीफ़ हम से करो
लहू टपके है अब शिकायत के बाद
—मीर तक़ी मीर

(31.)
सोच रहा हूँ किस के विष से होगी कम तकलीफ़
चारों और खड़े हैं मेरे रंग-बिरंगे नाग
—बाक़र नक़वी

(32.)
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
नज़र की चोट खाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
—आसिम पीरज़ादा

(33.)
अय्याम-ए-ख़िज़ाँ में ऐ बुलबुल तकलीफ़ बहुत बढ़ जाएगी
फूलों की क़सम देता हूँ तुझे छेड़ अब न तराना फूलों का
—नूह नारवी

(34.)
दो घड़ी के वास्ते तकलीफ़ ग़ैरों को न दे
ख़ुद ही बैठे हैं तिरी महफ़िल से उठ जाने को हम
—क़मर जलालवी

(35.)
छोड़ दे वो मुझे तकलीफ़ में मुमकिन तो नहीं
और अगर ऐसी कभी सूरत-ए-हाल आ जाए
—अदीम हाशमी

(36.)
साक़ी तुझे इक थोड़ी सी तकलीफ़ तो होगी
साग़र को ज़रा थाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
—अब्दुल हमीद अदम

(37.)
थोड़ी तकलीफ़ सही आने में
दो घड़ी बैठ के उठ जाइएगा
—हक़ीर

(38.)
हम से बीमार भी जाँ-बर कहीं होते हैं मसीह
तुम यहाँ आ के न तकलीफ़ उठाना हरगिज़
—मीर मेहदी मजरूह

(39.)
नहीं बीमार को तकलीफ़ ज़्यादा देते
अपनी आँखों को मिरे सामने इतना न झुकाओ
—मीर मेहदी मजरूह

(40.)
मुआफ़ की है ख़ुदा ने ज़ईफ़ पर तकलीफ़
सितम किया अगर अब दस्त-ओ-पा से काम लिया
—इमदाद अली बहर

(41.)
हसरत अपनी अरमाँ अपना आज़ार अपना तकलीफ़ अपनी
हमदर्द बनी हमदर्द बना ग़म-ख़्वार हुई ग़म-ख़्वार हुआ
—नूह नारवी

(42.)
पहुँचाई है तकलीफ़ बहुत पहले ही तुझ को
ऐ राह-नुमा हाथ न अब थाम हमारा
—अब्दुल हमीद अदम

(43.)
ज़र्फ़-ओ-हिम्मत से सिवा दी नहीं जाती तकलीफ़
इतना ग़म देते हैं जितनी कि शकेबाई है
—रियासत अली ताज

(44.)
चूर था ज़ख़्मों में और कहता था दिल
राहत इस तकलीफ़ में पाई बहुत
—अल्ताफ़ हुसैन हाली

(45.)
यारो हमें तकलीफ़ न दो सैर-ए-चमन की
आने दो बला से जो बहार आई है कम-बख़्त
नज़ीर अकबराबादी

(46.)
सफ़र में हर क़दम रह रह के ये तकलीफ़ ही देते
बहर-सूरत हमें इन आबलों को फोड़ देना था
—अंजुम इरफ़ानी

(47.)
हो तकमील-ए-हवस जिस दोस्ती का मुंतहा ऐ दिल
मुझे वो रस्म-ओ-राह-ए-आशिक़ी तकलीफ़ देती है
—सहर महमूद

(48.)
मैं चला जाता हूँ वाँ तकलीफ़ से
वो समझते हैं कि ला-सानी हूँ मैं
—अब्दुल हमीद अदम

(49.)
तिरे बग़ैर कहाँ है सुकून क्या आराम
कहीं रहूँ मिरी तकलीफ़ बेघरी सी है
—आसिम वास्ती

(50.)
इश्क़ की दुनिया में हर तकलीफ़ राहत-ख़ेज़ है
इज़्तिराब-ए-दिल भी इक हद तक सुकूँ-आमेज़ है
—अकबर हैदरी

(51.)
सुब्ह चमन में उस को कहीं तकलीफ़-ए-हवा ले आई थी
रुख़ से गुल को मोल लिया क़ामत से सर्व ग़ुलाम किया
—मीर तक़ी मीर

(52.)
मेरे घर वाले भी तकलीफ़ में आ जाते हैं
मैं जो कुछ देर को आराम पहन लेता हूँ
—फ़ैज़ ख़लीलाबादी

(साभार, संदर्भ: ‘कविताकोश’; ‘रेख़्ता’; ‘स्वर्गविभा’; ‘प्रतिलिपि’; ‘साहित्यकुंज’ आदि हिंदी वेबसाइट्स।)

1 Like · 496 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
Er. Sanjay Shrivastava
खुशनसीबी
खुशनसीबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*अम्मा*
*अम्मा*
Ashokatv
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"किरायेदार"
Dr. Kishan tandon kranti
कामयाबी का नशा
कामयाबी का नशा
SHAMA PARVEEN
"इशारे" कविता
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
चन्द्रयान अभियान
चन्द्रयान अभियान
surenderpal vaidya
स्वीकारोक्ति :एक राजपूत की:
स्वीकारोक्ति :एक राजपूत की:
AJAY AMITABH SUMAN
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कहो तुम बात खुलकर के ,नहीं कुछ भी छुपाओ तुम !
कहो तुम बात खुलकर के ,नहीं कुछ भी छुपाओ तुम !
DrLakshman Jha Parimal
फूल सूखी डाल पर  खिलते  नहीं  कचनार  के
फूल सूखी डाल पर खिलते नहीं कचनार के
Anil Mishra Prahari
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
मनोज कर्ण
*केवल जाति-एकता की, चौतरफा जय-जयकार है 【मुक्तक】*
*केवल जाति-एकता की, चौतरफा जय-जयकार है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
एक साँझ
एक साँझ
Dr.Pratibha Prakash
सच
सच
Neeraj Agarwal
"मैं सोच रहा था कि तुम्हें पाकर खुश हूं_
Rajesh vyas
*****सबके मन मे राम *****
*****सबके मन मे राम *****
Kavita Chouhan
सँविधान
सँविधान
Bodhisatva kastooriya
💐अज्ञात के प्रति-40💐
💐अज्ञात के प्रति-40💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
"चंदा मामा, चंदा मामा"
राकेश चौरसिया
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रिश्ते
रिश्ते
Dr fauzia Naseem shad
कह्र ....
कह्र ....
sushil sarna
माली अकेला क्या करे ?,
माली अकेला क्या करे ?,
ओनिका सेतिया 'अनु '
3114.*पूर्णिका*
3114.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कि मुझे सबसे बहुत दूर ले जाएगा,
कि मुझे सबसे बहुत दूर ले जाएगा,
Deepesh सहल
Loading...