Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2020 · 1 min read

” ढलती उम्र “

ये अजीब सी उम्र है
बिन बुलाये ही आ जाती है
शान से अपना हक जता कर
अपने बारे में बतलाती है ,

इस ढ़लती उम्र में भी
मन पहले जैसा ही मचलता है
शरीर खुद ही गिरता
और खुद से ही संभलता है ,

ये मुएं घुटने हैं जो
बार – बार यही कहते हैं
अब और नही बस और नही
कह – कह कर दुखते हैं ,

मन का क्या करें
ललचाता ही रहता है
अब तो जन्मदिन पर भी
केक भी थोड़ा सा मिलता है ,

बार – बार चश्मे का
पावर बदल जाता है
आँखों की तो छोड़ो
मन से भी धुंधला नजर आता है ,

सबके बीच बैठूँ
अपनी कहूँ उनको भी सूनुँ
वक्त कहाँ है उनके पास
अकेले बैठ कर अपनी ही गुनुँ ,

हम अपने विचारों से
आधुनिक हुआ करते हैं
आप तो रहने दिजिये
दिन भर यही सुना करते हैं ,

ना बचपने से कहो बैठने को
ना बूढ़ापे से कहो उठने को
अब तो इच्छा करती है
सदा – सदा के लिए लेटने को ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 24/09/2020 )

Language: Hindi
2 Likes · 1254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
स्वार्थ सिद्धि उन्मुक्त
स्वार्थ सिद्धि उन्मुक्त
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
संत गाडगे संदेश
संत गाडगे संदेश
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पुस्तक
पुस्तक
जगदीश लववंशी
मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)
मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)
Rj Anand Prajapati
2301.पूर्णिका
2301.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
surenderpal vaidya
चिड़िया
चिड़िया
Kanchan Khanna
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
manjula chauhan
बातें करते प्यार की,
बातें करते प्यार की,
sushil sarna
संघर्ष से‌ लड़ती
संघर्ष से‌ लड़ती
Arti Bhadauria
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
Phool gufran
रुकना हमारा काम नहीं...
रुकना हमारा काम नहीं...
AMRESH KUMAR VERMA
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
किस्मत की टुकड़ियाँ रुकीं थीं जिस रस्ते पर
किस्मत की टुकड़ियाँ रुकीं थीं जिस रस्ते पर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
देशभक्त
देशभक्त
Shekhar Chandra Mitra
कश्मीर में चल रहे जवानों और आतंकीयो के बिच मुठभेड़
कश्मीर में चल रहे जवानों और आतंकीयो के बिच मुठभेड़
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
शेखर सिंह
*माटी कहे कुम्हार से*
*माटी कहे कुम्हार से*
Harminder Kaur
आज के दिन छोटी सी पिंकू, मेरे घर में आई
आज के दिन छोटी सी पिंकू, मेरे घर में आई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*सीता (कुंडलिया)*
*सीता (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"वाह रे जमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
SHAMA PARVEEN
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
सिर की सफेदी
सिर की सफेदी
Khajan Singh Nain
अभिनय चरित्रम्
अभिनय चरित्रम्
मनोज कर्ण
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
ज़िंदगी  ने  अब  मुस्कुराना  छोड़  दिया  है
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
ऐ आसमां ना इतरा खुद पर
ऐ आसमां ना इतरा खुद पर
शिव प्रताप लोधी
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
Loading...